Thursday, October 24, 2013

आप बहुत याद आयेंगे "मन्ना दा"



आज सुबह सुबह एक बुरी खबर सुनने को मिली कि हम सबके चहेते महान गायक मन्ना डे अब हमारे बीच नहीं रहे | सुन कर काफी दुःख हुआ ! यूँ तो वो काफी लम्बे समय से बीमार थे पर फिर भी उनके जैसा गायक हजारों में एक ही होता है |

मन्ना डे का नाम आते ही कुछ बेहतरीन नगमे कानों में गूंजने लगते हैं | 1955 में बनी फिल्म सीमा में बलराज साहनी पर फिल्माया और शंकर जयकिशन का संगीतबद्ध किया हुआ गीत "तू प्यार का सागर है" हो या अशोक कुमार पर फिल्माया मेरी सूरत तेरी आँखें फिल्म का गीत "पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई" या आनंद का "ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय" या पड़ोसन का "एक चतुर नार " और भी न जाने कितने अनगिनत नगमे ..............

काबुलीवाला का "ऐ मेरे प्यारे वतन" अगर 15 अगस्त और 26 जनवरी को न सुने तो लगता है कुछ कमी रह गयी और आज भी जब मन इस दुनिया की झंझटों से उब जाता है और परेशान होता है तो अक्सर मोबाइल पर फिल्म उपकार का "कसमे वादे प्यार वफ़ा सब" सुन कर मन को हल्का कर लेता हूँ | 

"ऐ मेरी जोहरा ज़बीं" और "यारी है ईमान मेरा" जैसी कव्वालियाँ किसी भी महफ़िल में हमेशा चार चाँद लगाती रही हैं"

वो मन्ना डे ही थे जिन्होंने कहा था "सुर न सजे क्या गाऊँ मैं " पर मन्ना दा के सुर हमेशा सजे और रफ़ी, मुकेश और किशोर जैसे दिग्गजों के बीच शास्त्रीय गायक के रूप में उनकी पहचान हमेशा बनी रही | 

उनके गीत हमेशा हमारे दिलों पर राज करते रहेंगे | ये शब्द सिर्फ श्रद्धांजलि के शब्द नहीं है ये मेरे मन के शब्द हैं जो मन्ना डे के जाने से बेहद दुखी है !

1 comment:

Unknown said...

वास्तव में मन्ना दा महान गायक ही नहीं वरन महान विचारक भी थे जो उनके गाये हुए गीतों में स्पष्ट परिलक्षित होता है|

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