इस ठेठ देहाती भाषा में लिखी गयी रचना की प्रेरणा भी मेरे मित्र डा.पवन मिश्रा ने ही दी । हुआ यूँ कि चुनाव परिणामों के बाद देर शाम हमारी बातचीत हुई जिसमे कांग्रेस सपा और बसपा के चुनाव पूर्व के बड़बोले नेताओं को जनता द्वारा दिये गए करारे जवाब की चर्चा हुई । तब पवन जी ने मुझसे कुछ अपनी भाषा में लिखने को कहा और परिणाम स्वरुप यह छंद निकल आया...
बेनिया, पुनिया सब गए, हारि गवा सलमान,
जैसवाल की भद पिटी, खूब भयो अपमान ।
खूब भयो अपमान के माया हुई गयी सुन्ना,
नेता जी दुई सीट में मा जीत के रह्यो चौकन्ना ।
जेहिका छोड्यो जाई भाजपा के पाले मा,
नीके फंस जईहो तुम अपने ही जाले मा ।
कहत कवि अम्बेश, न लीन्हो कोऊ पंगा,
बुई के पेड़ बबूल, आम तुम पईहो ठेंगा ।
::::अम्बेश तिवारी
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