Monday, March 21, 2016

एहसासों को लब तक आने का जुर्माना देना होगा !

एहसासों को लब तक आने का जुर्माना देना होगा,
सच कहना है गर, उसका कुछ तो हर्जाना देना होगा ।। 
घर का छप्पर तो पिछली बरसातों में ही दरक गया,
या मौला अब मुझको कोई नया ठिकाना देना होगा ।।
सरकारी दफ़्तर में फ़ाइल खुदबख़ुद तो नहीं चलेगी,
चपरासी से अफसर तक सबको नज़राना देना होगा ।।
रोज़ महाजन पोथी लेकर घर पर दस्तक देता है,
क़र्ज़ लिया था बाबा ने वो सूद पुराना देना होगा।।
बीवी का श्रृंगार, खिलौने बच्चों के फिर छूट गए,
आज उन्हें घर जाकर फिर से नया बहाना देना होगा ।।
फिर जीतोगे आप चुनाव, अच्छे दिन अब आएंगे,
भोली जनता को फिर से यह ख़्वाब सुहाना देना होगा ।।
मुझे बुलाना कवि सम्मेलन में तो याद इसे रखना,
रहना, खर्चा, पीना-खाना, आना जाना देना होगा ।।

:::::अम्बेश तिवारी

मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा बन नहीं पाया !

  मेरे पापा कोई सुपरमैन नहीं हैं पर फिर भी, मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ पर पापा जैसा कभी बन नहीं पाया ! स्कूटर खरीदने के बाद भी चालीस की उम्र ...